वॉल्यूम के आधार पर तेजी से बढ़ने वाले शेयर कैसे खोजे

Volume stocks

शेयर बाजार में निवेश करते समय, सही शेयर का चुनाव करना एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। निवेशक अक्सर उन शेयरों की तलाश में रहते हैं जो तेजी से बढ़ने की संभावना रखते हैं। इस प्रक्रिया में वॉल्यूम (Volume) एक महत्वपूर्ण संकेतक साबित हो सकता है। वॉल्यूम के आधार पर तेजी से बढ़ने वाले शेयर खोजने का सही तरीका जानना आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद कर सकता है। इस लेख में हम यह जानेंगे कि वॉल्यूम क्या होता है, कैसे इसका उपयोग तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की पहचान में किया जा सकता है, और किन प्रमुख बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए।

शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब 

वॉल्यूम किसी खास समय अवधि में किसी विशेष स्टॉक के कितने शेयरों का व्यापार हुआ है, इसका माप है। इसे शेयर बाजार में होने वाले लेन-देन का मापदंड भी कहा जा सकता है। वॉल्यूम से यह पता चलता है कि कितने निवेशक किसी शेयर में रुचि ले रहे हैं और इसे खरीदने या बेचने का निर्णय ले रहे हैं। वॉल्यूम जितना अधिक होगा, उस शेयर की बाजार में उतनी ही ज्यादा गतिविधि होगी।

तेजी से बढ़ने वाले शेयरों के लिए वॉल्यूम कैसे काम आता है

जब आप तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की तलाश करते हैं, तो वॉल्यूम एक प्रमुख भूमिका निभाता है। अगर किसी शेयर का वॉल्यूम अचानक बढ़ जाता है और उसके साथ ही कीमत भी तेजी से बढ़ती है, तो यह संकेत हो सकता है कि उस स्टॉक में कुछ विशेष हो रहा है। ऐसे शेयर आमतौर पर बाजार में निवेशकों की रुचि को आकर्षित करते हैं और उनकी कीमतों में तेजी से वृद्धि होती है।

उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कंपनी के तिमाही नतीजे उम्मीद से बेहतर आते हैं और उसी समय वॉल्यूम में अचानक वृद्धि होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि निवेशक उस कंपनी के शेयर खरीद रहे हैं, जिससे कीमत में तेजी आ रही है।

वॉल्यूम के आधार पर तेजी से बढ़ने वाले शेयरों को पहचानने के उपाय

  1. वॉल्यूम स्पाइक: जब किसी शेयर का वॉल्यूम अचानक बढ़ता है और यह उसकी सामान्य ट्रेडिंग वॉल्यूम से अधिक होता है, तो यह एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है कि उस स्टॉक में तेजी आने वाली है।
  2. वॉल्यूम औसत: 20 दिन या 50 दिन के मूविंग एवरेज वॉल्यूम को देखकर आप यह जान सकते हैं कि किसी स्टॉक में अचानक होने वाली गतिविधि सामान्य से कितनी अलग है। अगर वॉल्यूम औसत से काफी ऊपर है, तो यह तेजी का संकेत हो सकता है।
  3. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): यह इंडिकेटर आपको यह बताने में मदद करता है कि स्टॉक ओवरबॉट (बहुत खरीदा हुआ) या ओवरसोल्ड (बहुत बेचा हुआ) है या नहीं। अगर वॉल्यूम के साथ RSI में भी बदलाव आता है, तो यह एक मजबूत संकेत हो सकता है।
  4. समाचार और घोषणाएं: कंपनियों द्वारा की गई महत्वपूर्ण घोषणाएं, जैसे नई डील्स, तिमाही नतीजे, या प्रोडक्ट लॉन्च, अक्सर वॉल्यूम में बढ़ोतरी ला सकते हैं। निवेशकों को ऐसी खबरों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की पहचान में सहायक हो सकते हैं।
  5. ब्रेकआउट ट्रेडिंग: अगर कोई स्टॉक लंबे समय तक एक सीमा में ट्रेड कर रहा है और फिर अचानक उस सीमा से बाहर निकलता है, तो यह एक ब्रेकआउट कहलाता है। इस समय वॉल्यूम में वृद्धि होती है और यह संकेत हो सकता है कि स्टॉक तेजी से ऊपर जा सकता है।

वॉल्यूम क्यों महत्वपूर्ण है

वॉल्यूम एक ऐसा कारक है जो यह इंगित करता है कि किसी विशेष शेयर में कितनी तरलता (Liquidity) है। अगर किसी शेयर का वॉल्यूम अधिक है, तो इसका मतलब है कि अधिक लोग उसमें निवेश कर रहे हैं या उससे बाहर निकल रहे हैं। इसका सीधा प्रभाव शेयर की कीमतों पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी शेयर का वॉल्यूम अचानक बढ़ता है, तो यह संकेत हो सकता है कि उस स्टॉक में बड़ी हलचल हो रही है, जिससे उसकी कीमत में तेजी से वृद्धि हो सकती है।

वॉल्यूम और स्टॉक की कीमत का संबंध

वॉल्यूम और स्टॉक की कीमत के बीच एक मजबूत संबंध होता है। जब किसी स्टॉक का वॉल्यूम बढ़ता है और इसके साथ-साथ कीमत भी बढ़ती है, तो यह एक सकारात्मक संकेत होता है। यह दर्शाता है कि अधिक निवेशक उस स्टॉक में रुचि ले रहे हैं और उसकी कीमत में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। इसके विपरीत, यदि वॉल्यूम कम हो और कीमत बढ़ रही हो, तो यह संकेत हो सकता है कि कीमत में वृद्धि टिकाऊ नहीं है और जल्द ही कीमत गिर सकती है।

वॉल्यूम का एनालिसिस कैसे करें

शेयर बाजार में वॉल्यूम का विश्लेषण करने के लिए कई तरीके हैं। सबसे सामान्य तरीका है वॉल्यूम इंडिकेटर का उपयोग करना। यह टूल आपको किसी स्टॉक के वॉल्यूम पैटर्न को देखने में मदद करता है। इसके अलावा, आप वॉल्यूम ओसिलेटर, वॉल्यूम-प्राइस ट्रेंड (VPT), और मनी फ्लो इंडेक्स (MFI) जैसे तकनीकी संकेतकों का उपयोग कर सकते हैं, जो वॉल्यूम और कीमत के बीच के संबंध को और स्पष्ट रूप से दिखाते हैं।

तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की पहचान के लिए अन्य फैक्टर 

वॉल्यूम के अलावा, कुछ अन्य कारक भी तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की पहचान में मदद कर सकते हैं:

  1. फंडामेंटल एनालिसिस: कंपनी की वित्तीय स्थिति, आय, मुनाफा, और ऋण का विश्लेषण करना आवश्यक है। एक मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनी के शेयरों में तेजी की संभावना अधिक होती है।
  2. मार्केट सेंटिमेंट: बाजार की धारणा भी किसी स्टॉक की गति को प्रभावित कर सकती है। अगर किसी कंपनी के बारे में सकारात्मक धारणा बनती है, तो उसके शेयरों में तेजी आ सकती है।
  3. तकनीकी संकेतक: वॉल्यूम के साथ अन्य तकनीकी संकेतकों का उपयोग करके भी तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की पहचान की जा सकती है, जैसे कि मूविंग एवरेज, RSI, MACD आदि।

वॉल्यूम-आधारित रणनीतियां

वॉल्यूम के आधार पर तेजी से बढ़ने वाले शेयरों को खोजने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं:

  1. ब्रेकआउट स्ट्रेटेजी: जब स्टॉक एक महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस लेवल को पार करता है और वॉल्यूम बढ़ता है, तो यह संकेत होता है कि स्टॉक में तेजी आ सकती है। इस रणनीति के तहत निवेशक ऐसे स्टॉक्स को चुनते हैं जिनमें वॉल्यूम के साथ ब्रेकआउट होता है।
  2. रिवर्सल स्ट्रेटेजी: यह तब उपयोगी होती है जब स्टॉक की कीमत गिर रही हो, लेकिन अचानक वॉल्यूम में वृद्धि होती है और कीमत वापस बढ़ने लगती है। यह संकेत हो सकता है कि स्टॉक ने अपना निचला स्तर छू लिया है और अब तेजी की ओर बढ़ सकता है।
  3. मूविंग एवरेज के साथ वॉल्यूम का उपयोग: मूविंग एवरेज का उपयोग करके यह देखा जा सकता है कि स्टॉक की कीमत और वॉल्यूम के पैटर्न में क्या बदलाव आ रहे हैं। यदि वॉल्यूम मूविंग एवरेज से ऊपर चला जाता है, तो यह संकेत हो सकता है कि स्टॉक में तेजी आएगी।

निष्कर्ष

वॉल्यूम के आधार पर तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की पहचान करना एक प्रभावी तरीका हो सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इसे अन्य कारकों के साथ जोड़ा जाए। वॉल्यूम में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि किसी स्टॉक में अधिक रुचि है, और यह उसके आगे बढ़ने की संभावना को दर्शाता है। हालांकि, निवेशकों को हमेशा फंडामेंटल, तकनीकी संकेतकों, और मार्केट सेंटिमेंट का भी ध्यान रखना चाहिए। सही रणनीति और समझ के साथ, वॉल्यूम का उपयोग करके आप तेजी से बढ़ने वाले शेयरों की पहचान कर सकते हैं और बाजार में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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