जानिए स्वीट इक्विटी शेयर क्या होता है? (In Details)

 जानिए स्वीट इक्विटी शेयर क्या होता है? (In Details)

आजकल कई कंपनियां अपने कर्मचारियों और प्रमुख सदस्यों को प्रोत्साहित करने के लिए स्वीट इक्विटी शेयर का उपयोग करती हैं। यह एक ऐसा तरीका है जिससे कंपनियां कर्मचारियों को संगठन के साथ दीर्घकालिक रूप से जुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं और उनकी मेहनत को वित्तीय रूप से पुरस्कृत करती हैं। इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि स्वीट इक्विटी शेयर क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं, और इनके क्या फायदे होते हैं।

स्वीट इक्विटी शेयर क्या होते हैं?

स्वीट इक्विटी शेयर (Sweat Equity Shares) वो शेयर होते हैं जो कंपनी अपने कर्मचारियों, निदेशकों या प्रमुख सदस्यों को उनकी कंपनी में दी गई सेवाओं या उनके व्यक्तिगत योगदान के आधार पर देती है। ये शेयर आमतौर पर उन कर्मचारियों को दिए जाते हैं जिनका कंपनी की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान होता है, और इसका उद्देश्य उन्हें अधिक लाभप्रद बनाने का होता है।

स्वीट इक्विटी का इतिहास

स्वीट इक्विटी की अवधारणा पहली बार स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों में उभरी, जहां संसाधनों की कमी के चलते कंपनियां अपने कर्मचारियों को सीधे वेतन के बजाय शेयर देकर प्रोत्साहित करती थीं। यह कर्मचारियों को कंपनी के साथ दीर्घकालिक रूप से जोड़ने का एक शानदार तरीका था, क्योंकि कंपनी की वृद्धि के साथ उनके शेयरों का मूल्य भी बढ़ता है।

स्वीट इक्विटी शेयर कैसे काम करते हैं?

स्वीट इक्विटी शेयर का तात्पर्य है कि कंपनी अपने कर्मचारियों को उनके दिए गए योगदान के आधार पर शेयर प्रदान करती है। ये शेयर उन्हें कंपनी के मालिकाना हक में हिस्सेदारी प्रदान करते हैं। इन शेयरों का मूल्य बाजार में मौजूद शेयरों के समान होता है, और जैसे-जैसे कंपनी की सफलता बढ़ती है, इनका मूल्य भी बढ़ता है।

उदाहरण:

मान लीजिए एक स्टार्टअप कंपनी है, जिसने शुरूआत में अपने कर्मचारियों को कम वेतन दिया है लेकिन उन्हें स्वीट इक्विटी शेयर की पेशकश की। कंपनी की सफलता के बाद, जब उसके शेयरों का मूल्य बढ़ा, तब इन कर्मचारियों के शेयर भी बढ़ गए, जिससे उन्हें बड़ा वित्तीय लाभ हुआ।

स्वीट इक्विटी शेयर किसे दिए जाते हैं?

स्वीट इक्विटी शेयर मुख्य रूप से उन कर्मचारियों को दिए जाते हैं जो कंपनी के लिए विशेष महत्व रखते हैं, जैसे कि उच्चस्तरीय प्रबंधन, निदेशक मंडल के सदस्य, या वे कर्मचारी जिनका योगदान कंपनी की सफलता में महत्वपूर्ण होता है। स्टार्टअप्स में यह अधिक सामान्य है, जहां प्रारंभिक पूंजी की कमी होती है, और इस प्रकार शेयर देना एक महत्वपूर्ण प्रेरक हो सकता है।

स्वीट इक्विटी शेयर के फायदे

स्वीट इक्विटी शेयर कई फायदे प्रदान करते हैं, जो इसे कर्मचारियों और कंपनियों दोनों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं:

1. कर्मचारी प्रोत्साहन:

कंपनी के शेयर प्राप्त करने से कर्मचारियों में स्वामित्व की भावना विकसित होती है, जिससे वे कंपनी की सफलता के लिए और अधिक मेहनत करते हैं।

2. दीर्घकालिक जुड़ाव:

कर्मचारी लंबी अवधि तक कंपनी के साथ बने रहते हैं, क्योंकि कंपनी की वृद्धि के साथ उनके शेयरों का मूल्य भी बढ़ता है।

3. कम वेतन में संतुलन:

स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियां आमतौर पर संसाधनों की कमी के कारण अधिक वेतन नहीं दे पातीं, लेकिन स्वीट इक्विटी शेयर देकर वे अपने कर्मचारियों को प्रेरित कर सकती हैं।

4. कर लाभ:

भारत में, स्वीट इक्विटी शेयर पर कराधान के कुछ लाभ होते हैं, जिससे कर्मचारी और कंपनियां दोनों इसका फायदा उठा सकते हैं।

स्वीट इक्विटी शेयर के नुकसान

हालांकि स्वीट इक्विटी शेयर के कई फायदे हैं, लेकिन इसके साथ कुछ नुकसान भी जुड़े होते हैं:

1. जोखिम:

अगर कंपनी विफल हो जाती है, तो कर्मचारियों के शेयरों का मूल्य भी कम हो जाता है, जिससे उन्हें वित्तीय हानि हो सकती है।

2. बाजार का उतार-चढ़ाव:

शेयर बाजार की स्थिति के अनुसार इन शेयरों का मूल्य बदलता रहता है, जिससे कर्मचारियों के लिए यह अनिश्चित हो सकता है।

3. स्वामित्व में विभाजन:

कंपनी के अधिक शेयर बांटने से मौजूदा शेयरधारकों की हिस्सेदारी में कमी आ सकती है, जिससे उनके स्वामित्व में भी बदलाव आ सकता है।

स्वीट इक्विटी शेयर और ईएसओपी में अंतर

स्वीट इक्विटी शेयर और ईएसओपी (Employee Stock Ownership Plan) दोनों ही कर्मचारियों को शेयर प्रदान करने के तरीके हैं, लेकिन इनमें कुछ प्रमुख अंतर होते हैं:

1. मूल्य निर्धारण:

ईएसओपी में कर्मचारियों को शेयर खरीदने का विकल्प दिया जाता है, जबकि स्वीट इक्विटी शेयर मुफ्त में दिए जाते हैं।

2. प्राप्ति समय:

ईएसओपी में कर्मचारी शेयर कुछ निश्चित समय के बाद खरीद सकते हैं, जबकि स्वीट इक्विटी शेयर कर्मचारियों को तुरंत दिए जाते हैं।

3. कंपनी का योगदान:

स्वीट इक्विटी शेयर कर्मचारियों को उनके योगदान के आधार पर दिए जाते हैं, जबकि ईएसओपी आमतौर पर कंपनी के सामान्य कर्मचारियों को दिए जाते हैं।

भारत में स्वीट इक्विटी शेयर का कानूनी ढांचा

भारत में स्वीट इक्विटी शेयर का प्रावधान कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत आता है। इसके अनुसार, एक कंपनी केवल अपने कर्मचारियों और निदेशकों को ही स्वीट इक्विटी शेयर जारी कर सकती है, और इसे जारी करने की प्रक्रिया में कुछ विशेष शर्तें और नियम होते हैं। कंपनी को पहले शेयरधारकों की मंजूरी लेनी होती है और इस संबंध में सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार करने होते हैं।

आवश्यक शर्तें:

  1. कंपनी को शेयरधारकों की आम सभा में प्रस्ताव पास करना होता है।
  2. शेयरधारकों से मंजूरी प्राप्त करनी होती है।
  3. स्वीट इक्विटी शेयर जारी करने की शर्तों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए।
Which comy should give Sweat equity

किन कंपनियों को स्वीट इक्विटी शेयर जारी करना चाहिए?

स्वीट इक्विटी शेयर का उपयोग मुख्य रूप से स्टार्टअप्स और तेजी से बढ़ने वाली कंपनियों द्वारा किया जाता है। ये कंपनियां अक्सर कर्मचारियों को उनके योगदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इस प्रकार के शेयर जारी करती हैं। यह उन कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है जो अपने कर्मचारियों के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाना चाहती हैं।

निष्कर्ष

स्वीट इक्विटी शेयर कर्मचारियों को कंपनी की सफलता में भागीदार बनाने का एक शानदार तरीका है। यह न केवल उन्हें कंपनी के साथ जोड़े रखता है, बल्कि उन्हें वित्तीय लाभ भी प्रदान करता है। हालांकि इसमें कुछ जोखिम जुड़े होते हैं, लेकिन सही तरीके से उपयोग किए जाने पर यह कंपनी और कर्मचारियों दोनों के लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है।

स्वीट इक्विटी शेयर का उपयोग विशेष रूप से उन कंपनियों के लिए आदर्श होता है जो अपने कर्मचारियों को दीर्घकालिक प्रेरणा देना चाहती हैं और उन्हें कंपनी की वृद्धि में भागीदार बनाना चाहती हैं। हालांकि इसमें कुछ जोखिम भी हैं, लेकिन यदि कंपनी सफलता की ओर अग्रसर है, तो यह कर्मचारियों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकता है। यदि आप एक कंपनी के मालिक हैं, तो आपको इस प्रकार के शेयर पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह कर्मचारियों की प्रतिबद्धता को बढ़ाता है और कंपनी की दीर्घकालिक सफलता में सहायक होता है।

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