1 साल में म्यूचुअल फंड कितना रिटर्न देता है ?

1 साल में म्यूचुअल फंड कितना रिटर्न देता है ?


 म्यूचुअल फंड में निवेश करना आजकल एक बहुत ही लोकप्रिय विकल्प बन गया है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न चाहते हैं। लेकिन जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो एक सवाल हमेशा मन में उठता है 1 साल में म्यूचुअल फंड कितना रिटर्न देता है  इस सवाल का जवाब आसान नहीं है क्योंकि म्यूचुअल फंड में रिटर्न कई कारकों पर निर्भर करता है। इस लेख में, हम इस सवाल का विस्तार से उत्तर देने का प्रयास करेंगे, ताकि आपको बेहतर समझ हो सके कि म्यूचुअल फंड में 1 साल में कितना रिटर्न मिल सकता है।

म्यूचुअल फंड का काम करने का तरीका

म्यूचुअल फंड में निवेश का तरीका बैंक में किए गए निवेश से काफी अलग होता है। जब आप बैंक में पैसा जमा करते हैं, तो आपको एक निश्चित ब्याज दर पर रिटर्न मिलता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने बैंक में ₹1,00,000 जमा किए हैं और बैंक की ब्याज दर 8% है, तो साल के अंत में आपको ₹8,000 मिलेंगे। यह एक फिक्स्ड रिटर्न है, और इसमें कोई बदलाव नहीं होता है। आपको इस पर सवाल करने की जरूरत नहीं होती है कि बैंक ने यह पैसा कहां निवेश किया या कितना कमाया।

दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड में रिटर्न निश्चित नहीं होता। म्यूचुअल फंड का रिटर्न मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, यानी यदि बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है, तो आपका रिटर्न भी अच्छा होगा, और अगर बाजार में गिरावट होती है, तो रिटर्न कम हो सकता है। म्यूचुअल फंड में जो भी रिटर्न आपको मिलता है, उसमें से कुछ हिस्सा विभिन्न खर्चों जैसे कि फंड मैनेजमेंट फीस, ब्रोकेरज, एडवर्टाइजिंग, आदि के रूप में कट जाता है। इन खर्चों को मिलाकर, आपको एक शुद्ध रिटर्न मिलता है।

म्यूचुअल फंड में 1 साल का रिटर्न कैसा होता है?

म्यूचुअल फंड में 1 साल के रिटर्न की बात करें, तो यह काफी हद तक मार्केट की स्थिति पर निर्भर करता है। मार्केट की स्थिरता, विकास दर, और अन्य आर्थिक कारक म्यूचुअल फंड के रिटर्न को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि बाजार में तेजी है और आपका फंड अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, तो आपको 1 साल में 20% या उससे अधिक का रिटर्न भी मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर, यदि बाजार में गिरावट हो रही है, तो आपका रिटर्न नेगेटिव भी हो सकता है।

कुछ उदाहरणों से इसे समझें:

  • स्मॉल कैप फंड्स: स्मॉल कैप फंड्स में निवेश करने वालों को काफी अच्छा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक होता है। उदाहरण के लिए, 2017 में स्मॉल कैप फंड्स ने औसतन 30% से 40% तक का रिटर्न दिया था, लेकिन 2018 में इनमें से कुछ फंड्स ने नेगेटिव रिटर्न भी दिया।
  • लार्ज कैप फंड्स: लार्ज कैप फंड्स की स्थिरता अधिक होती है। 2019 में लार्ज कैप फंड्स ने औसतन 10% से 15% का रिटर्न दिया, जबकि 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान इनमें कुछ गिरावट देखी गई।

म्यूचुअल फंड्स में खर्च और उनका प्रभाव

म्यूचुअल फंड्स में निवेश के दौरान, आपको जो रिटर्न मिलता है, वह शुद्ध रिटर्न होता है, यानी उसमें से खर्च पहले ही काट लिया जाता है। म्यूचुअल फंड्स के खर्चों में फंड मैनेजर की फीस, एडमिनिस्ट्रेशन फीस, ब्रोकेरज, और अन्य खर्च शामिल होते हैं। आमतौर पर, यह खर्च 1% से 2% तक हो सकता है। मान लीजिए, आपके म्यूचुअल फंड ने 20% का रिटर्न दिया, लेकिन खर्च के रूप में 2% काट लिया गया, तो आपका शुद्ध रिटर्न 18% होगा।

म्यूचुअल फंड्स के विभिन्न प्रकार और उनका रिटर्न

म्यूचुअल फंड्स कई प्रकार के होते हैं, और हर प्रकार का फंड अलग-अलग रिटर्न देता है। कुछ प्रमुख म्यूचुअल फंड्स और उनके रिटर्न इस प्रकार हैं:

  1. इक्विटी म्यूचुअल फंड्स: ये फंड्स शेयर बाजार में निवेश करते हैं, और इनका रिटर्न मार्केट की स्थिति पर निर्भर करता है। अच्छे मार्केट कंडीशंस में, इक्विटी फंड्स 15% से 20% तक का रिटर्न दे सकते हैं। लेकिन अगर बाजार में गिरावट है, तो ये रिटर्न नेगेटिव भी हो सकता है।
  2. डेट म्यूचुअल फंड्स: ये फंड्स बॉन्ड्स और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। डेट फंड्स का रिटर्न आमतौर पर स्थिर होता है, और यह 6% से 9% के बीच हो सकता है। ये फंड्स कम जोखिम वाले होते हैं, इसलिए इनमें रिटर्न भी कम होता है।
  3. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स: ये फंड्स इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं, और इनका रिटर्न दोनों के बीच का होता है। हाइब्रिड फंड्स आमतौर पर 10% से 15% तक का रिटर्न देते हैं।

म्यूचुअल फंड्स में 1 साल के रिटर्न को कैसे कैलकुलेट करें?

1 साल के म्यूचुअल फंड रिटर्न को कैलकुलेट करने के लिए आपको कुछ साधारण स्टेप्स फॉलो करने होंगे:

  1. सबसे पहले, आपको उस फंड के पिछले 1 साल का प्रदर्शन देखना होगा। इसके लिए आप फंड हाउस की वेबसाइट या किसी फाइनेंशियल पोर्टल का सहारा ले सकते हैं।
  2. अब, आपको यह देखना होगा कि फंड ने पिछले 1 साल में कितना रिटर्न दिया है। इसे आप साल के शुरुआत और अंत में NAV (Net Asset Value) को देखकर कैलकुलेट कर सकते हैं।
  3. अंत में, आप खर्चों को घटाकर शुद्ध रिटर्न का पता लगा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए, आपने किसी म्यूचुअल फंड में 1 जनवरी को ₹1,00,000 निवेश किए और 31 दिसंबर को उस फंड का वैल्यू ₹1,20,000 हो गया। तो आपका ग्रॉस रिटर्न 20% हुआ। अब, अगर उस फंड का एक्सपेंस रेशियो 2% है, तो आपका नेट रिटर्न 18% होगा।

म्यूचुअल फंड्स में निवेश के फायदे

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के कई फायदे होते हैं:

  1. पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन: म्यूचुअल फंड्स आपको अलग-अलग कंपनियों में निवेश करने का अवसर देते हैं, जिससे आपका रिस्क कम होता है।
  2. प्रोफेशनल मैनेजमेंट: म्यूचुअल फंड्स का मैनेजमेंट प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स करते हैं, जो बाजार के बारे में गहरी जानकारी रखते हैं।
  3. लिक्विडिटी: आप म्यूचुअल फंड्स को किसी भी समय खरीद या बेच सकते हैं, जिससे आपको निवेश पर तुरंत कैश मिल सकता है।
  4. टैक्स बेनिफिट्स: कुछ म्यूचुअल फंड्स, जैसे कि ELSS (Equity Linked Savings Scheme), टैक्स बेनिफिट्स भी प्रदान करते हैं।

म्यूचुअल फंड्स में जोखिम और सावधानियां

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय कुछ जोखिम और सावधानियां भी होती हैं:

  1. मार्केट रिस्क: म्यूचुअल फंड्स का प्रदर्शन बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है, और मार्केट में गिरावट होने पर आपका रिटर्न भी नेगेटिव हो सकता है।
  2. फंड मैनेजर का प्रदर्शन: फंड का प्रदर्शन पूरी तरह से फंड मैनेजर की दक्षता पर निर्भर करता है। अगर फंड मैनेजर अच्छा निर्णय नहीं लेता, तो फंड का प्रदर्शन खराब हो सकता है।
  3. लंबी अवधि के निवेश की आवश्यकता: म्यूचुअल फंड्स में अच्छा रिटर्न पाने के लिए आपको लंबी अवधि तक निवेश करना पड़ता है। कम समय के लिए निवेश करने पर रिटर्न कम हो सकता है या नुकसान भी हो सकता है।

निष्कर्ष

म्यूचुअल फंड्स में 1 साल में कितना रिटर्न मिलता है, यह पूरी तरह से फंड के प्रकार, बाजार की स्थिति, और फंड मैनेजर की क्षमता पर निर्भर करता है। निवेश करने से पहले, आपको फंड का पूरा एनालिसिस करना चाहिए और अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। हालांकि म्यूचुअल फंड्स में निवेश के कई फायदे हैं, लेकिन इसमें जोखिम भी होते हैं। इसलिए, आपको हमेशा सावधानीपूर्वक और लंबी अवधि के निवेश के लिए म्यूचुअल फंड्स का चयन करना चाहिए।

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